Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -14-Oct-2022

ये जीवन है


आशा भरे सुखद नेत्रों में
फूलों से मुस्काता जीवन
और अंत में सब कुछ खोकर
पौधे से गिर जाता जीवन।

सुंदर सा एक बचपन था
झूठ भी तब सच लगता था
खाना सोना और खेलना 
ये ही सब कुछ लगता था
प्यार मिला संसार मिला
उपकार मिले संस्कार मिले
हंसता मुस्काता वो जीवन
कम ही है जितनी बार मिले
फिर कपड़े छोटे होने लगे
बचपन मुट्ठी से फिसल गया
आशाओं के सपने देकर
जाने किस ओर से निकल गया।

थर्राती आयी जवानी
दुनिया छोटी जैसे लगने लगी
सपने इच्छाएं और शक्ति
के रंगों से ये सजने लगी
धन मिला यश मिला और
शक्ति का अनमिट उपहार मिला
प्रेम के रंग में घुलता हुआ
नूतन एक संसार मिला
फिर इस उपवन में यौवन के
एक रूप का ऐसा फूल खिला
कलियां तितली रस गन्ध और
आनन्द स्वाद का मूल मिला
जिम्मेदारी देकर सारी 
यौवन चुपके से निकल गया
जब तक खुलती आंखे तब तक
आनन्द का सागर बिखर गया।

फिर आया बुढापा थका हुआ
कम्बल ओढ़े लाठी टेके
और देकर रीतापन जैसे कोई
छुपकर कोई मुझको देखे
न कोई साथी न संगी
न स्वाद गन्ध आनन्द कोई
दिखती है कोई परछाई
लेकर हाथों में फंद कोई।

ये जीवन है और
यही है बस इससे ज्यादा कुछ भी नहीं
न अंतर कोई न विकल्प
और इससे आगे कुछ भी नहीं।।

दैनिक प्रतियोगिता हेतु।





   20
10 Comments

Suryansh

20-Oct-2022 06:53 AM

उत्कृष्ट,, सर्वोत्तम बहुत ही खूबसूरत रचना

Reply

Anshumandwivedi426

20-Oct-2022 07:23 AM

कोटिशः धन्यवाद

Reply

Raziya bano

15-Oct-2022 06:02 PM

Shaandar

Reply

Anshumandwivedi426

15-Oct-2022 07:16 PM

कोटिशः धन्यवाद

Reply

Ayshu

15-Oct-2022 05:45 PM

Nice

Reply

Anshumandwivedi426

15-Oct-2022 07:16 PM

Thanks

Reply